नाटक का पूर्ण कथासारत्र ’स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद महात्मा गांधी स्वयं से वार्तालाप करते हुए आत्म चिंतन करते हैंए उन सभी गतिविधियों पर कहाँ सफल.असफल रहेएकारण क्या रहे।उनके अहिंसा का प्रयोग कितना सफल रहाएजिन लोगो पर भरोसा कर स्वराज के लिए संघर्ष किया क्या वो सब वास्तव में उनके साथ थे आत्म विश्लेषण ।
ष्मैं जानता हूँ वे मुझे मारे बिना नहीं मानेंगे ! क्या विडम्बना है वे मारे डालेंगे उसे ए जिसे वे खुद हिन्दु धर्म का एक महान पुरुष मानते है ! नहीं महानता नहीं चाहिए उन्हें अपने धर्म में ! लेकिन शान्ति मिलेगी मुझे इस मृत्यु से . वैसी शान्ति जैसी ईश्वर की प्रार्थना से मिलती है ! हिन्दुस्तान की आत्मा के नाश का निस्सहाय साक्षी बनने के बजाय ये मृत्यु मेरे लिए परम मुक्ति होगी ! प्रमाण होगी कि हिंसा अपनी सारी ताकत लगा कर भी अहिंसा को झुका नहीं सकी है. अकेले की अहिंसा को भी